देश में ऐसा युद्ध जिसने भारत को दुनिया की नई शक्ति बनाया, वीरता की वो गाथा…

आज आर्मी डे है और भारतीय सेना के इतिहास में 15 जनवरी का दिन काफी अहम है।

इसी दिन 1949 को देश को पहला भारतीय सेना प्रमुख मिला था। फील्ड मार्शल के एम करियप्पा आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल थे।

भारतीय सेना में फील्ड मार्शल की पांच सितारा रैंक वाले दो ही अधिकारी रहे हैं। करियप्पा के अलावा सैम मानेकशॉ।

सेना दिवस पर हम आपको सुनाने जा रहे हैं वीरता की वो गाथा, जिसने भारत को दुनिया की नई शक्ति बनाया।

भारतीय सेना के पराक्रम से दुनिया को रू-ब-रू कराया। कारगिल का वो ऐतिहासिक युद्ध जिसने हारी बाजी को पलट दिया और इतिहास में हमेशा के लिए सेना का अदम्य साहस अमर कर दिया।

कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, जो 26 जुलाई को देशभर में मनाया जाता है।

कारगिल का युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में लड़ा गया था।

इस युद्ध में बुरी तरह मात खाने के बाद पाकिस्तान ने यह तक मानने से इनकार कर दिया था कि उसकी सेना इसमें शामिल थी।

उसने कहा कि लड़ने वाले सभी लोग कश्मीरी उग्रवादी थे लेकिन, दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयान से उसकी पोल खुल गई कि इस युद्ध में पाक सेना शामिल थी।

भारतीय सेना के लिए मुश्किल थी जंग
कारगिल का युद्ध ऊंचाई वाले इलाके में लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना नीचे से अपने इलाकों को पाकिस्तान से आजाद कराने की कोशिश कर रही थी।

जबकि ऊंचाई पर स्थित पाकिस्तानी सेना के लिए यह लड़ाई आसान थी। वह आसानी से भारतीय सेना के हर मूमेंट को वॉच कर रही थी। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की।

लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5000 घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे।

भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापस जाने को मजबूर किया। 

2700 पाक सैनिक मारे गए, 250 युद्ध से भागे
करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर भारतीय देशवासी को गर्व होना चाहिए।

करीब 18 हजार फीट की ऊँचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे।

युद्ध में २७०० पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और २५० पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए। 

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद जहाँ भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहाँ बम गिराए गए।

इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया।

युद्ध के बाद पाकिस्तान में उथल-पुथल, भारत बना नई शक्ति
पाकिस्तान में इस युद्ध के बाद राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई थी। नवाज़ शरीफ़ की सरकार को हटाकर जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ राष्ट्रपति बन गए।

दूसरी ओर भारत में इस युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिली।

भारतीय सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया। इस युद्ध से प्रेरणा लेकर देश में कई फ़िल्में भी बनीं जिनमें एल ओ सी कारगिल और लक्ष्य शामिल हैं।

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