नेताजी सुभाष का था एक आध्यात्मिक पक्ष भी, घंटों ध्यान में हो जाते थे लीन…

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का एक पक्ष अगर राजनीति और आजादी की लड़ाई थी तो दूसरा पक्ष आध्यात्मिकता थी।

वो हर हाल वो रोज योग साधना करते थे। उनका जीवन किशोरवय से आध्यात्मिक विचारों से प्रभावित था।

यहां तक जब वो आजाद हिंद फौज की स्थापना के दौरान जब जापान में थे, तब भी रोजाना अपने कमरे में योग-साधना जरूर करते थे।

तब वो एकांत में रहना पसंद करते थे। हालांकि वो हमेशा लोगों के बीच होते थे लेकिन रात में जैसे ही एकांत मिलता, वो ध्यान साधना में लीन हो जाते।

सुभाष चंद्र बोस हमेशा साथ जिन चीजों को रखते थे, उसमें भगवत गीता भी थी। जिसे वो रोज पढ़ते थे। इससे उन्हें शांति और शक्ति मिलती थी। उसी के अनुरूप वो काम करना पसंद करते थे।

रात में भोजन के बाद वो आमतौर पर विश्राम करते। उस समय वो आमतौर पर बहुत कम लोगों से मिलना पसंद करते थे। अगर कोई आ भी जाता था, तो उन्हें ज्यादातर मौन ज्यादा पाता था। तब वो बहुत कम बोलते थे। उस समय वो आमतौर पर शांति चाहते थे।

वो रोज रात में देर में सोने वाले शख्स थे। आमतौर पर वो रात में रोज 02-03 बजे तक बिस्तर पर जाते थे। लेकिन जब सोकर उठते थे तो उनके मु्ंह पर तेज और आभा नजर आती थी। सोते समय वो दिनभर के अपने कामों की आध्यात्मिक समीक्षा भी जरूर करते।

आजाद हिंद फौज की स्थापना के दौरान नेताजी के बारे में लोग कहते थे कि वो आम सैनिकों के साथ बैठकर वैसा ही साधारण भोजन करते थे। अगर कभी कोई खास व्यक्ति उनसे मिलने आता था, तभी उनके साथ अलग भोजन करते थे।

वो चाय और कॉफी के बहुत शौकीन थे। जब वो कोलकाता में अपने घऱ में होते थे तो दिन में 20-25 कप चाय के कप की चुस्कियां ले लेते थे।

हालांकि वो सिगरेट भी पीते थे। कभी कभी तनाव के क्षणों में लोगों ने उन्हें चैन स्मोकिंग करते देखा।

हालांकि उनके साथ रहने वाले लोगों का कहना था कि वो शायद ही कभी आपा खोते थे। हमेशा वो आमतौर पर कूल और शांत रहते थे।

वो पढ़ने के बहुत शौकीन थे। जेल में रहने के दौरान वो तरह तरह की किताबें पढ़ते थे। उनकी दिलचस्पी तमाम विषयों में थी।

खासकर दुनियाभर में क्या हो रहा है, ये जानने में उनकी दिलचस्पी बहुत रहती थी। वो जितना पढ़ते थे, उतना ही लिखते थे और तमाम विषयों पर विश्लेषण युक्त लेख भी लिखते थे। उनके लेख तब कई देश-विदेश के अखबारों में प्रकाशित होते थे।

सुभाष चंद्र बोस मां काली के भक्त थे। ये भी कहा जाता है कि वह तंत्र साधना की शक्ति मानते थे। जब म्यांमार की मांडला जेल में थे, तब उन्होंने तंत्र मंत्र से संबंधित कई किताबें भी मंगाकर पढ़ीं थीं।

लियोनार्ड गार्डन अपनी किताब में कहते हैं कि सुभाष ने यद्यपि कभी धर्म पर कोई बयान नहीं दिया लेकिन हिंदू धर्म उनके लिए भारतीयता का हिस्सा था।

गार्डन ने इसी किताब में लिखा कि सुभाष की मां दुर्गा और काली की भक्त थीं, जिसका असर सुभाष पर भी पड़ा। वो इन दोनों के उपासक थे। उन्हें कोलकाता की दुर्गा पूजा का इंतजार रहता था।

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