भूपेश है तो भरोसा है : किसानों के मुख्यमंत्री की संवेदनशील पहल, रामरतन को अगले दिन ही मिली धान की राशि…

मांठ में भेंट-मुलाकात के दौरान रामरतन ने लगभग डेढ़ माह से राशि नही मिलने पर की थी शिकायत।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को मौके पर निराकरण के दिए थे निर्देश।

छत्तीसगढ़ सरकार को यूं ही किसानों की सरकार  और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यूं ही किसानों का मुख्यमंत्री नही कहा जाता।

प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल की किसानों के प्रति संवेदनशीलता इतनी है कि खेती-किसानी और किसानों के बात आते ही सभी काम एक तरफ हो जाते है।

ऐसे ही बानगी भेंट-मुलाकात के एक कार्यक्रम में देखने मिली और मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक किसान को डेढ़ माह से लंबित धान की राशि 24 घंटे में ही मिल गई। 

रायपुर जिले के तिल्दा-नेवरा विकासखंड के मांठ गांव में 22 जनवरी को भेंट-मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री बघेल से नगर गांव के किसान रामरतन ने सोसायटी में धान का लगभग डेढ़ माह से भुगतान लंबित रहने की शिकायत की।

मुख्यमंत्री ने धैर्यपूर्वक रामरतन की बात सुनी। किसान रामरतन ने बताया कि सब कुछ तो ठीक है।

सरकार की योजनाएं लोंगो को फायदा पहुंचा रही है, परंतु सोसायटी में 30 नवबंर को धान बेचने के बाद भी अभी तक उन्हें पैसा नहीं मिला है।

मुख्यमंत्री बघेल ने इस पर विस्तार से रामरतन से पूछा। रामरतन ने आगे बताया कि उनकी बेटी कुसुम सगरवंशी ने 30 नवबंर को नगरगांव सोसायटी में धान बेचा था।

उन्होंने मुख्यमंत्री बघेल के पूछने पर आगे बताया कि 38 डिसमिल खेत में इस साल धान लगाया था।

कटाई-मिंझाई के बाद नगरगांव सोसायटी में 30 नवबंर को धान बेचा था पर धान का लगभग साढ़े ग्यारह हजार रूपये अभी तक खाते में नही आया है।

मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए पहले तो अधिकारियों पर नाराजगी जताई और तत्काल रामरतन के धान का पैसा उनके बैंक खाते में जमा करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भुरे ने स्वयं प्रकरण की जानकारी नगरगांव सोसायटी के प्रबंधक और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के अधिकारियों से ली।

अगले ही दिन 23 जनवरी को रामरतन के बैंक खाते में बेची गई धान की राशि 11 हजार 424 रूपये जमा करा दी गई।

अपनी धान का पैसा मिल जाने पर रामरतन ने मुख्यमंत्री श्री बघेल का आभार वयक्त किया और कहा कि भूपेश है तो भरोसा है।

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