चीन के कर्ज जाल में श्रीलंका के बाद अब बांग्लादेश, शेख हसीना सरकार को आगाह कर रहा विपक्ष…

श्रीलंका के बाद अब बांग्लादेश भी चीन के कर्ज जाल में फंसता जा रहा है।

बांग्लादेश के सबसे बड़े राजनीतिक दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष एडवोकेट निताई रॉय चौधरी ने इसे लेकर चिंता जताई है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रोजेक्ट्स के लिए लोन या ग्रांट के नाम पर चीन का वित्तपोषण न तो शेख हसीना सरकार के लिए अच्छा है और न ही भारत के लिए।

चौधरी ने आरोप कि इस वित्तपोषण के जरिए बांग्लादेश में चीन अपने राजनीतिक प्रभुत्व का विस्तार करना चाहता है।

उन्होंने कहा, ‘मेगा प्रोजेक्ट्स में चीनी कर्ज देश के लोगों के लिए दिन-ब-दिन बड़ा बोझ बनता जा रहा है। अगर किसी तरह की गलतफहमी हुई तो चीन श्रीलंका की तरह बांग्लादेश को भी अपने कब्जे में ले लेगा।’

चौधरी ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा कि 2001 में बीएनपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों की इक्का-दुक्का घटनाएं हुईं। उ

न्होंने कहा कि बांग्लादेश में सांप्रदायिक हमले मुख्य रूप से आर्थिक कारणों से हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा की सभी घटनाओं में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग शामिल रही।

बांग्लादेश में कई भारतीय विरोधी राजनीतिक दलों पर चौधरी ने कहा कि वे हमेशा देश में मौजूद रहेंगे। भारत को इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।

‘राजनीतिक वर्चस्व पाना है मकसद’ 
बीएनपी लीडर चौधरी ने कहा कि चीनी कर्ज लेना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पुरानी सोच को दर्शाता है।

शेख हसीना ने कहा था कि चीन के साथ बांग्लादेश के संबंध आर्थिक हैं, जबकि भारत के साथ राजनीतिक।

हालांकि, चौधरी का कहना है कि यह सोचने का कोई कारण नहीं कि चीन बिना शर्त बांग्लादेश की मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि बिना राजनीतिक वर्चस्व के आर्थिक सहायता या व्यापार की गारंटी नहीं मिल सकती।

‘बाजार का विस्तार करने के लिए दे रहा कर्ज’ 
चौधरी ने कहा, ‘जो देश आर्थिक रूप से अल्पविकसित या विकासशील देशों की मदद करते हैं, उनका उद्देश्य राजनीतिक वर्चस्व हासिल करना होता है।

चीन अपने बाजार का विस्तार करने के लिए बांग्लादेश को कर्ज दे रहा है। हसीना सरकार इसे स्वीकार करती है और कहती है कि इससे विकास हो रहा है। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि इस विकास का आधार विदेशी कर्ज है। इस कर्ज का बोझ लोगों के कंधों पर भारी पड़ रहा है। इस विकास से लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा।’

‘अगर बांग्लादेश कर्ज नहीं चुका पाया तो…’
BNP लीडर ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देश अपने खुद के फंड से विकास कर रहे हैं। लेकिन बांग्लादेश विभिन्न मेगा प्रोजेक्ट्स के नाम पर कर्ज का बोझ उठा रहा है, जिसे वह इस समय वहन नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा, ‘अगर कोई गलतफहमी हुई तो हमारी स्थिति श्रीलंका जैसी हो जाएगी। जैसा कि चीन ने श्रीलंका के बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया है, यहां भी ऐसा ही होगा।’ चौधरी ने आगे कहा कि अगर देश कर्ज चुकाने में असमर्थ रहा तो वे बांग्लादेश को लहूलुहान कर देंगे।

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