एलपीजी सिलेंडरों में गैस की कम सप्लाई देने पर अब इस अधिनियम के तहत एजेंसियों और डिलीवरी मैन पर होगी कार्रवाई…

एलपीजी सिलेंडरों में गैस (LPG Gas Cylinder) की कम सप्लाई की लगातार शिकायतों के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में गैस एजेंसियों की जांच शुरू हो गई है।

दिल्ली-एनसीआर (Delhi- NCR) में भी कई गैस एजेंसियों पर रैंडम आधार पर जांच की जा रही है।

बता दें कि गैस एजेंसी की मिलीभगत से डिलीवरी मैन द्वारा उपभोक्ताओं को मानक मात्रा से कम गैस की डिलीवरी किए जाने पर अब कंपनी की गाइडलाइंस के साथ-साथ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है।

एलपीजी की कालाबाजारी रोकने के लिए मोदी सरकार (Modi Government) ने हाल के दिनों में कई कदम उठाए हैं।

दिल्ली-एनसीआर के गाजियाबाद में पिछले सप्ताह ही एलपीजी सिलेंडरों में गैस की कम सप्लाई की प्राप्त शिकायतों के बाद डीएम राकेश कुमार सिंह द्वारा अलग-अलग टीमों का गठन कर गैस एजेंसियो की जांच कराई गई।

इस जांच में क्षेत्रीय खाद्य अधिकारियों और बाट माप निरीक्षकों की चार टीमें गठित कर गाजियाबाद शहर की गैस एजेंसियों की जांच कराई गई।

इन टीमों के द्वारा 17 गैस एजेंसियो की जांच की गई। जांच दल ने गैस एजेंसियों में स्टॉक, डिलीवरी एवं सिलेंडरों में डिलीवर की जा रही गैस की मात्रा की जांच की।

जिन एजेंसियों में मानक मात्रा से कम गैस पाई गई वहां सिलेंडरों की बिक्री प्रतिबंधित कर लीगल मैट्रोलोजी एक्ट 2009 के अंतर्गत गैस एजेंसियों का चालान किया गया।

एलपीजी गैस सिलेंडर में कम गैस देने पर शुरू हुई कार्रवाई
गौरतलब है कि आज-कल गैस डिलीवरी के वक्त उपभोक्ताओं को पंजीकृत मोबाइल नंबर पर आया मैसेज डिलीवरी मैन को बताना अनिवार्य कर दिया गया है।

इसके बाद ही सिलिंडर मिलता है। हालांकि इस फैसले से गैस कम मिलने का कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन, अगर आप गैस का सिलेंडर जल्दी खत्म हो जाने से परेशान हैं तो अब आपकी परेशानी दूर होने जा रही है।

अब डिलीवरी मैन आपको गैस कम देता है तो आप तुरंत ही शिकायत कर सकते हैं।

इस कानून के तहत भी होगी कार्रवाई
साल 2020 से ही मोदी सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act-2019) लागू कर दिया है।

इस अधिनियम के लागू हो जाने के बाद अब अगर उपभोक्ता को कम गैस मिलता है तो गैस एजेंसी पर कार्रवाई तो होगी साथ ही उसका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है।

अधिकांश लोग गैस सिलेंडर की डिलीवरी लेने के वक्त वजन चेक नहीं करते। इसका यह भी कारण है कि डिलीवरी मैन सप्लाई के वक्त वजन तौलने वाली मशीन नहीं रखते।

जागरुकता के अभाव में कई बार सिलेंडर में कम गैस का खामियाजा उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है। सिलेंडर में से एक से दो-तीन किलो गैस निकाली जा रही है।

ऐसे में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू हो जाने के बाद उपभोक्ताओं को घर बैठे ही कई अधिकार और सुविधा मिल गई है।

किसी भी गैस एजेंसी के डिलीवरी मैन द्वारा उपभोक्ताओं को मानक मात्रा से कम गैस की डिलीवरी किया जाना पाया जाएगा तो अब इसके लिए संबंधित गैस एजेंसी का उत्तदायित्व निर्धारित करते हुए उसके विरुद्ध कंपनी की गाइडलाइंस के साथ साथ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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