CG : आपस में ही भीड़ गए कांग्रेसी, जिलाध्यक्ष के सामने ही मारपीट पर हुए उतारू, उभरकर सामने आ रहे नेताओं के बीच मतभेद…….

CG : आपस में ही भीड़ गए कांग्रेसी, जिलाध्यक्ष के सामने ही मारपीट पर हुए उतारू, उभरकर सामने आ रहे नेताओं के बीच मतभेद

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी कांग्रेस के संगठन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसकी बानगी एक बार फिर से कवर्धा जिले में देखने को मिली है,जहां जिलाध्यक्ष के सामने ही कांग्रेसियों के बीच जूतम पैजार कि स्थिति बन गई। हालांकि दूसरे नेताओं ने उनके झगड़े पर बीच बचाव किया और दोनों को शांत कराया,

लेकिन सवाल उठ रहे कि क्या वजह है सत्ता में होने के बाद भी कांग्रेसियों के बीच हर दिन इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है? (Deep differences within Congress leaders in the state) देखा जा रहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे वैसे-वैसे संगठन के पदाधिकारी और नेता आपस में ही भिड़ रहे, आपस में मारपीट कर रहे, जिससे पार्टी के भीतर हावी गुटबाजी और संगठन के पदाधिकारियों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ रहे।

दरअसल रविवार को घर-घर चलो अभियान को लेकर कवर्धा जिले के पार्टी कार्यालय में डीसीसी कवर्धा के प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया था। संगठन के नेता बता रहे थे कि इस अभियान के तहत वे प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएंगे।

वे प्रदेश में हुए जनहितैषी और कल्याणकारी कार्यों के दम पर आम मतदाताओं से फिर से कांग्रेस को वोट देने कि अपील करेंगे। लेकिन यह प्रेसवार्ता पूरा हो पाता इससे पहले ही कांफ्रेंस में मौजूद कांग्रेस सेवादल के प्रदेश सचिव जयप्रकाश बारले और पूर्व महामंत्री और अल्पसंख्यक नेता अजहर खान किसी बात को लेकर आपस में भिड़ गए।

गुस्से से लाल-पीले दोनों नेताओं को इस बात का भी ख्याल नहीं रहा कि मौके पर संगठन के बड़े नेता और मीडियाकर्मी मौजूद है, वे दोनों एक-दूसरे के साथ मारपीट करने पर उतारू हो गए। मामला बिगड़ता देख जिलाध्यक्ष नीलू चन्द्रवंशी आगे आई और दोनों नेताओं को एक-दूसरे से दूर कर मामले को शांत कराया। बावजूद मौके पर गहमागहमी कि स्थिति बानी रही।

बता दे कि दो महीने पहले भी एक पीसी के दौरान पंडरिया विधायक और क्रेडा सदस्य के बीच कुर्सी को लेकर जमकर बहसबाजी हुई थी। इस तरह देखा जाएं तो सवाल उठता है कि जब संगठन के भीतर ही नेताओं में इतने गहरे मतभेद हो तो वह जनता के बीच किस तरह खुद को एकजुट दिखाकर वोट कि अपील कर पाएंगे? जाहिर है इस तरह के गुटबाजी और मतभेद का असर सीध तौर पर संगठन और चुनावी कार्यक्रमों के साथ नतीजों पर भी पड़ सकता है, जो कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

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