व्लादिमीर पुतिन हैं असली बाजीगर, वैगनर का विद्रोह कैसे रूसी राष्ट्रपति को बना देगा और ताकतवर…

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सत्ता को चुनौती देने वाले वैगनर ग्रुप की बगावत नाकाम हो गई है।

वैगनर का यह विद्रोह भले ही पुतिन को कमजोर करने के मकसद से रहा हो, मगर हुआ तो इसका उलटा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस बगावत का पुतिन को सीधे तौर पर लाभ मिलने वाला है। रूसी राष्ट्रपति इसे देश की एकता के लिए खतरा बताकर आम जनता के बीच अपनी पकड़ और मजबूत कर सकते हैं।

वैगनर की बगावत के चलते रूसी नागरिक पुतिन के पीछे और मजबूती से एकजुट हो जाएंगे, जिससे देश में उनकी लोकप्रियता पहले से ज्यादा बढ़ने वाली है। इस स्थिति में पुतिन राजनीतिक तौर पर पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर हो जाएंंगे। 

रूसी प्रशासन की ओर से वैगनर समूह के कृत्य को रूस के लिए खतरे के तौर पर पेश किया जाएगा। जानकार बताते हैं कि पश्चिमी देश और मीडिया भले ही वैगनर समूह के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन को लेकर कहानी बुने, मगर इसका सीधा फायदा तो पुतिन को ही मिलने वाला है।

पूरे रूस में वैगनर समूह के प्रमुख को विद्रोही का टैग दिया जा सकता है और उनके कृत्य को देशद्रोह माना जा सकता है। रूस के विदेश मंत्रालय ने भी पश्चिमी देशों को प्रीगोझिन के नेतृत्व वाले विद्रोह का फायदा उठाने की कोशिश करने को लेकर आगाह किया था।

मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘हम पश्चिमी देशों को अपने रूस विरोधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रूस की आंतरिक स्थिति का फायदा उठाने को लेकर आगाह करते हैं।’

मॉस्को की ओर कूच करने का था आदेश, मगर…
मालूम हो कि वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझिन ने अपने लड़ाको को मॉस्को की तरफ कूच करने का आदेश दिया था।

हालांकि, प्रीगोझिन ने अचानक क्रेमलिन के साथ समझौते के बाद निर्वासन में जाने और पीछे हटने की घोषणा कर दी।

प्रीगोझिन के रविवार सुबह तक बेलारूस पहुंचने की कोई खबर नहीं मिली। वहीं, प्रीगोझिन निर्वासन में वैगनर के लड़ाकों के साथ शामिल होंगे या नहीं और उनकी वहां क्या भूमिका हो सकती है, अगर कोई होगी तो… जैसे कई सवालों के जवाब भी अभी तक नहीं मिल पाए हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव द्वारा शनिवार को घोषित समझौते के तहत प्रीगोझिन पड़ोसी बेलारूस जाएंगे, जिसने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का समर्थन किया है।

बगावत से रूस की कमजोरियां भी हुईं उजागर
हालांकि, इस संक्षिप्त विद्रोह ने रूसी सरकारी बलों के बीच कमजोरियों को भी उजागर कर दिया। येवगेनी प्रीगोझिन की कमान के तहत वैगनर समूह के सैनिक रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में निर्बाध रूप घुसने और मास्को की ओर सैकड़ों किलोमीटर आगे बढ़ने में सक्षम थे।

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 2 दशक से अधिक समय के कार्यकाल में यह उनके समक्ष पेश आई सबसे बड़ी चुनौती बन गई।

पुतिन ने शनिवार को टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम दिए संबोधन में वैगनर के सशस्त्र विद्रोह को विश्वासघात और राजद्रोह करार दिया था।

मगर, प्रीगोझिन ने अपने लड़ाकों के मॉस्को से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर होने पर उन्हें वापस भेजने का फैसला किया, ताकि रूसी लोगों का खून न बहे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)

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