दक्षिण चीन सागर में खतरा बनता चीन; जंगी जहाजों संग भारी संख्या में सैनिक तैनात, बंदरगाहों पर नजर…

ताइवान के विदेश मंत्री जौशीह जोसेफ वू ने चीन को लेकर रविवार को कई बड़े दावे किए।

उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीनी खतरा काफी बढ़ रहा है, क्योंकि चीन ने इस क्षेत्र में युद्धपोतों और अन्य सैन्य साजो-सामान के अलावा बड़ी संख्या में सशस्त्र नौसैनिकों को तैनात किया है।

उन्होंने चुनौती से निपटने के लिए सभी हितधारकों से एकजुट प्रयास करने की गुहार लगाई।

वू ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों का भी हवाला दिया, जिसमें पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमा और जिबूती में प्रमुख बंदरगाहों को नियंत्रित करने का प्रयास भी शामिल है।

ताइवानी विदेश मंत्री ने उम्मीद जताई कि नई दिल्ली इस मामले में करीबी नजर बनाए हुए है। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह के साथ बातचीत में ताइवान के विदेश मंत्री ने चीन की विस्तारवादी नीति को पोल खोल दी।

उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में दखल रखने वाले देशों को क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से उत्पन्न चुनौती से निपटने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ताइवान चीनी खतरे से निपटने में अपना अनुभव साझा करने के लिए भी तैयार है।

ताइवान के विदेश मंत्री ने भारत को लेकर क्या कहा
इस दौरान वू ने क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों, यूक्रेन में युद्ध के बाद भू-राजनीतिक उथल-पुथल और ताइवान जलडमरूमध्य में चीनी सैन्य खतरों सहित विभिन्न मुद्दों पर टिप्पणी की।

ताइवानी विदेश मंत्री ने कहा, ‘भारत को चीन से लगी उत्तरी सीमा पर भी खतरे का सामना करना पड़ रहा है। उसे न केवल सैन्य खतरा, बल्कि हिंद महासागर से भी भारत को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।’ ताइवान के विदेश मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोकतांत्रिक देशों को चीन की साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। 

गौरतलब है कि चीन ताइवान के अपना क्षेत्र होने का दावा करता है। दूसरी ओर चीन, पाकिस्तानी सेना को मानव रहित विमान और लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने, संचार टावर स्थापित करने और नियंत्रण रेखा पर भूमिगत केबल बिछाने के अलावा रक्षा बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद कर रहा है।

अधिकारियों के अनुसार, यह पाकिस्तान के सदाबहार मित्र के रूप में चीन की स्थिति को और मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा है। साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर बढ़ते चीनी परिक्षेत्रों और क्षेत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) सड़क व जल विद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बहाने भी ऐसा किया जा रहा है।

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