मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा, नियमितीकरण की मांग को लेकर गुस्सा…..

मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा, नियमितीकरण की मांग को लेकर गुस्सा

दुर्ग :- दुर्ग जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इससे अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। अस्पताल में भर्ती न लेने से पूरे वार्ड खाली हैं।

मरीजों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल में जाने के लिए मजबूर होने पड़ रहा है। शासकीय अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि वो आउट सोर्सिंग के जरिए किसी तरह इमरजेंसी चला पा रहे हैं। स्टाफ न होने से भर्ती नहीं ली जा रही है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के आह्वान पर सभी स्वास्थ्य कर्मी मंगलवार 4 जुलाई से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हैं। जिले के भी सभी स्वास्थ्य कर्मचारी अस्पताल ड्यूटी न करके धरना स्थल पर बैठकर अपनी मांगों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

उनकी मांग है कि सभी संविदा कर्मचारियों को परमानेंट किया जाए। साथ ही उन्हें 12 महीने की जगह 13 महीने का वेतन दिया जाए। कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से अस्पताल की चिकित्सीय व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।

जिला अस्तपाल से लेकर सुपेला सिविल तक में मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां डॉक्टर तो हैं, लेकिन नर्सिंग और मेल नर्सिंग स्टाफ न होने से मरीजों की भर्ती नहीं ली जा रही है। डॉक्टर केवल इमरजेंसी चलाकर मरीजों का प्राथमिक उपचार कर रहे हैं। इसके बाद उन्हें दूसरे अस्पताल जाने की सलाह दी जा रही है।

प्राइवेट अस्पताल जाने को मरीज मजबूर

मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। डॉक्टर द्वारा मरीजों को प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह दी जा रही है। इससे मरीज निजी अस्पताल जाने को मजबूर हैं। जिनके पास कुछ पैसे हैं वो तो मजबूरी में वहां जा रहे हैं, लेकिन जिनके पास पैसे नहीं है वो लोग इमरजेंसी से ही दवा लेकर अपना उपचार करने को मजबूर हैं।

मांग नहीं मानी तो अनिश्चित कालीन चलेगी हड़ताल

कर्मचारी संघ के बैनर तले धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि 22 सालों से वो लोग राज्य के विभिन्न जिलों के जिला अस्पतालों में काम कर रहे हैं। अपने नियमितीकरण की मांग सहित अन्य मांगों को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं। अब उनके सब्र का बांध टूट गया है। पिछले 15 साल तक भाजपा शासनकाल और अब कांग्रेस सरकार ने भी उनकी नहीं सुनी।

धरने पर बैठे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी

कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में संविदा कर्मचारियों सहित स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ देने का वादा किया था। उसने समय-समय पर मिलने वाले भत्तों में बढ़ोतरी का वादा किया था। अब इस सरकार के भी साढे़ 4 साल बीत गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ है। इसीलिए कर्मचारियों को धरना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनका यह आंदोलन और भी उग्र होगा।

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