मणिपुर में मुश्किल हल नहीं हुई तो…, INDIA डेलीगेशन ने देश की सुरक्षा पर दी बड़ी चेतावनी…

मणिपुर से लौटे विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) ने यहां के हालात को लेकर बड़ी चेतावनी दी है।

इसमें कहा गया है कि अगर मणिपुर का जातीय संघर्ष जल्दी खत्म नहीं किया गया तो यह देश की सुरक्षा के लिए समस्या बन सकता है।

विपक्षी दलों के गठबंधन के 21 सांसदों ने मणिपुर का दौरा करने के बाद राजभवन में राज्यपाल अनसुइया उइके से मुलाकात की।

साथ ही उन्हें पूर्वोत्तर राज्य के मौजूदा हालात पर एक ज्ञापन सौंपा। बैठक के बाद राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्यपाल ने हमारी बातें सुनीं और उन पर सहमति जताई। उन्होंने हिंसा पर दुख जताया और लोगों की पीड़ा बताई।

बिगड़ते जा रहे हालात
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मणिपुर के हालात को सरकार समझ नहीं रही है। आज यह प्रदेश दो हिस्सों में बंट चुका है।

हालात बेहद चिंताजनक हैं। चौधरी ने कहा कि राज्यपाल ने कहा कि मेइती तथा कुकी समुदायों के बीच अविश्वास खत्म करने के लिए सभी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल को उनसे बातचीत करने के लिए मणिपुर का दौरा करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि सांसदों ने मणिपुर में जो स्थिति देखी, उसके बारे में संसद में एक रिपोर्ट पेश करेंगे और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे।

चौधरी ने दावा किया कि मणिपुर में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। दो दिवसीय दौरे के अपने अनुभव के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि ऐसे हालात बन गए हैं कि घाटी के लोग (मेइती) पर्वतीय क्षेत्र में नहीं जा सकते जहां कुकी रहते हैं और पर्वतीय क्षेत्र के लोग घाटी में नहीं आ सकते हैं। 

जरूरी सामानों की किल्लत
चौधरी ने कहा कि राशन, चारा, दूध, बच्चों के भोजन और अन्य आवश्यक सामान की भारी किल्लत है। छात्रों की शिक्षा पर भी असर पड़ा है।

हमने राज्यपाल को ये सभी बातें बताई हैं जिन्होंने कहा कि इन मुद्दों को मिलकर हल किया जाना चाहिए। विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल दोपहर को दिल्ली के लिए रवाना हो गया।

वे जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए शनिवार को मणिपुर पहुंचे थे तथा हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात की थी। दो-दिवसीय दौरे के पहले दिन प्रतिनिधिमंडल इंफाल के अलावा बिष्णुपुर जिले के मोइरांग और चुराचांदपुर में कई राहत शिविरों में गया तथा जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। 

प्रतिनिधिमंडल में थे यह लोग
इस प्रतिनिधिमंडल में अधीर और लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई के अलावा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की महुआ माजी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के पीपी मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन और वीसीके से टी. तिरुमावलावन एवं डी रविकुमार भी शामिल रहे।

जनता दल (यूनाइटेड)  के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल प्रसाद हेगड़े, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संदोश कुमार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के ए ए रहीम, सपा के जावेद अली खान, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर, आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अरविंद सांवत भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।     

तीन मई से बदतर हैं हालात
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पूर्वोत्तर राज्य की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

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