50 लाख टन गेहूं और 25 लाख टन चावल और बेचेगी सरकार, बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण को लेकर फैसला…

केंद्र सरकार ने कीमतों पर नियंत्रण के लिए 50 लाख टन गेहूं व 25 लाख टन चावल और बेचने का फैसला लिया है।

सरकार की ओर से कहा गया कि चावल और गेहूं की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और इनकी बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने को लेकर यह कदम उठाया गया है।

केंद्रीय पूल से खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं और 25 लाख टन चावल की और बिक्री की जाएगी।

चावल खरीदारों की संख्या कम होने के बीच सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत चावल का आरक्षित मूल्य घटाया है। 2 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी के साथ नई कीमत 29 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

गेहूं आयात शुल्क में कटौती की संभावना पर सरकार ने कहा कि वह भविष्य में जरूरत के आधार पर कदम उठाएगी, क्योंकि चीजें गतिशील और विकसित हो रही हैं।

सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (FCI) 28 जून से ई-नीलामी के जरिए थोक खरीदारों जैसे आटा मिलों और छोटे व्यापारियों को केंद्रीय पूल से गेहूं-चावल बेच रही है।

खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा, ‘दो वस्तुओं की कीमतें पिछले कुछ महीनों से खबरों में हैं, क्योंकि हम इन अनाजों की कीमतों में बढ़त की प्रवृत्ति देख रहे हैं।’

OMSS के तहत गेहूं का उठाव अब तक अच्छा रहा है। हालांकि, पिछली दो-तीन नीलामियों में गेहूं की भारित औसत कीमत बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि चावल में ज्यादा उठाव नहीं हुआ है।

‘आरक्षित मूल्य में बदलाव से बेहतर नतीजे’
चोपड़ा ने कहा कि सरकार को लगा कि चावल के आरक्षित मूल्य में बदलाव से बेहतर परिणाम आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने ओएमएसएस के जरिए 50 लाख टन गेहूं और 25 लाख टन चावल खुले बाजार में लाने का फैसला किया है।

यह 28 जून को ओएमएसएस के तहत घोषित 15 लाख टन गेहूं और 5 लाख टन चावल की बिक्री के अतिरिक्त है। इसके अलावा, सचिव ने कहा कि सरकार ने चावल का आरक्षित मूल्य 2 रुपये प्रति किलोग्राम घटाकर 31 रुपये प्रति किलोग्राम से 29 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है।

हालांकि, गेहूं का आरक्षित मूल्य अपरिवर्तित रखा गया है क्योंकि ओएमएसएस के तहत व्यापारियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। उन्होंने कहा कि ओएमएसएस के तहत अब तक लगभग 7-8 लाख टन गेहूं की नीलामी की गई है, जबकि चावल की बिक्री बहुत कम है।

बाजार में उपलब्धता में सुधार की उम्मीद: खाद्य सचिव
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार उम्मीद कर रही है कि इन उपायों से न केवल बाजार में उपलब्धता में सुधार होगा, बल्कि कीमतों को कम करने और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, ‘अगले कुछ हफ्तों में प्रतिक्रिया के आधार पर हम उनमें बदलाव करते रहेंगे। अंतिम उद्देश्य खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना है। जरूरत पड़ने पर अधिक आक्रामक नीलामी करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।

गेहूं आयात शुल्क में कटौती की संभावना पर सचिव ने कहा, ‘अभी हमने ये कदम उठाए हैं। ये गतिशील और विकासशील हैं।

भविष्य में आवश्यकताओं के आधार पर हम कदम उठाएंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ  काम कर रहा है कि गेहूं में स्टॉक सीमा का उल्लंघन न हो।

28 जून से शुरू हुआ OMSS कैंपेन
एफसीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने ओएमएसएस के तहत खाद्यान्न की बिक्री के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि गेहूं और चावल की कीमतों में बढ़त की प्रवृत्ति को देखते हुए ओएमएसएस अभियान इस साल के आरंभ में 28 जून को शुरू किया गया था।

आज की नीलामी को लेकर अब तक सात ई-नीलामी आयोजित की गई हैं। शुरुआत में बिक्री के लिए पेश किया जाने वाला गेहूं चार लाख टन हुआ करता था।

आज की ई-नीलामी में इसे घटाकर एक लाख टन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 8 लाख टन गेहूं बेचा जा चुका है। 

एफसीआई प्रमुख ने यह भी कहा कि आरंभ में 28 जून को गेहूं का भारित औसत बिक्री मूल्य 2,136.36 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब आज की ई-नीलामी में 2,254.71 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।

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