G-20 से नहीं हो कोई निराश, सहमति बनाने की कोशिश में भारत; रूस-यूक्रेन के लिए खास प्लान…

भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद जारी होने वाली संयुक्त घोषणा के लिए सहमति बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार, इस संदर्भ में रूस-यूक्रेन मामले को बेहद सावधानी के साथ चर्चा के लिए लिया जा रहा है। उसे इस प्रकार संयुक्त घोषणा में शामिल किया जाएगा, जिससे रूस, चीन या उनके समर्थन में आने वाले किसी अन्य देश को आपत्ति नहीं हो।

शनिवार से हो रही शिखर वार्ता में रूस-यूक्रेन मुद्दे पर भी चर्चा होगी। जी-20 हालांकि आर्थिक मुद्दों का मंच है, लेकिन चूंकि इस युद्ध के प्रभाव विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़े हैं, इसलिए उन प्रभावों पर चर्चा होना तय है।

जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि बाली में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है और यहां भी होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि ‘नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेयरेशन (संयुक्त घोषणा)’ लगभग तैयार है तथा शिखर सम्मेलन में इसे मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

पिछले साल बाली में हुई जी-20 बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा की जा चुकी है। तब जारी संयुक्त घोषणा में रूस के यूक्रेन पर हमले की निंदा की गई थी। लेकिन प्रस्ताव में ‘सभी सदस्य देशों’ की बजाय ‘ज्यादादर सदस्य देशों’ शब्द इस्तेमाल किए गए थे।

चीन यूक्रेन मामले में रूस के साथ
शिखर सम्मेलन में चीन के रुख पर भी सबकी निगाह रहेगी। चीन के राष्ट्रपति हालांकि शामिल नहीं हो रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ली कियांग मौजूद रहेंगे।

दरअसल, चीन इस मामले में रूस के साथ खड़ा है। उसका रुख यह है कि युद्ध के जो आर्थिक प्रभाव बताए जा रहे हैं, वह वास्तव में रूस के यूक्रेन पर हमले की वजह से नहीं हैं, बल्कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से हैं।

बाली में यूक्रेन को आमंत्रित किया गया
एक बात और, बाली शिखर वार्ता में इंडोनेशिया ने पश्चिमी देशों के दबाव में यूक्रेन के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया गया था और उन्होंने वर्चुअल रूप से सम्मेलन को संबोधित किया था।

लेकिन भारत ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की और अपने तटस्थ रुख को कायम रखा। इस मुद्दे पर विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि अभी वह इतना ही कहना चाहते हैं कि भारत की अध्यक्षता में यही अपेक्षा है कि सभी जी-20 सदस्य देश एक सहमति की तरफ अग्रसर होंगे। सम्मेलन की समाप्ति पर सहमति के अनुरूप ही नतीजा सामने आएगा।

सहमति नहीं बनी तो चेयर्स समरी
अगर किसी कारण से संयुक्त घोषणा पर सहमति नहीं बनती है तो ‘चेयर्स समरी’ जारी की जाती है, जिसमें उल्लेख किया जाता है कि किन बिन्दुओं पर सहमति और किन पर असहमति। बता दें कि पूर्व में भारत में विदेश मंत्रियों के स्तर पर हुई बैठक में इस मुद्दे पर सहमति नहीं बनी थी और संयुक्त घोषणा जारी नहीं हुई थी।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर तीन विकल्पों पर विचार
– इस मुद्दे का जिक्र संयुक्त घोषणा में इस प्रकार से किया जाए कि उस पर रूस या चीन आपत्ति नहीं करें।
– इसमें रूस के पक्ष को भी शामिल किया जाए, जैसा कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव ने भी दो दिन पूर्व कहा था।
– एक विकल्प यह है कि इसे घोषणा पत्र में शामिल किए बगैर आर्थिक प्रभावों का जिक्र किया जाए।

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