नीतीश कुमार को देना है चोट या काटना है BJP के वोट, राजपूत vs ब्राह्मण में क्यों उलझी RJD…

राज्यसभा सांसद मनोज झा ने प्रसिद्ध कविता ‘ठाकुर का कुआं’ सुनाकर बिहार की राजनीति में हलचल तेज कर दी है।

अपनी ही पार्टी यानी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के कई नेताओं समेत अन्य पार्टियों की भी नाराजगी का सामना करना पड़ा।

दिलचस्प है कि इसी के साथ बिहार में राजपूत बनाम ब्राह्मण को लेकर बहस शुरू हो गई है।

क्या था मामला
राजद सांसद संसद में महिला आरक्षण पर बात कर रहे थे। उस दौरान उन्होंने ओम प्रकाश वाल्मिकी की कविता ‘ठाकुर का कुआं’ सुनाई।

साथ ही ‘अंदर के ठाकुर’ को मारने की बात कह दी। अब एक ओर जहां पार्टी ने आधिकारिक तौर पर झा के बयान की तारीफ की। वहीं, उन्हीं की पार्टी के नेता आनंद मोहन और बेटे चेतन आनंद ने कड़ी आपत्ति जताई है।

मोहन ने कहा, ‘अगर मैं राज्यसभा में होता, तो उनकी जुबान खींच लेता और फेंक देता।’ जबकि, राजद ने मंगलवार को माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट किया, ‘राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा जी का विशेष सत्र के दौरान दिया गया दमदार शानदार और जानदार भाषण।’

वोटों का गणित
बिहार में राजपूत और ब्राह्मण कुल आबादी का 5-5 प्रतिशत हैं। एक ओर जहां आरा, सारन, महाराजगंज, औरंगाबाद, वैशाली और बक्सर जिलों में राजपूतों का दबदबा माना जाता है। वहीं, गोपालगंज, कैमूर, दरभंगा और मधुबनी समेत कुछ जिलों में ब्राह्मण बड़ी संख्या में हैं।

एनडीए और जेडीयू को मिलता रहा है ब्राह्मण समर्थन
साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खाते में 17 फीसदी ब्राह्मण वोट थे। जबकि, 2005 में यह आंकड़ा बढ़कर 29 फीसदी हुआ और 2010 विधानसभा चुनाव में 30 फीसदी पर पहुंच गया। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 54 फीसदी ब्राह्मण वोट मिले थे।

बड़ी संख्या में ब्राह्मण वोट हासिल करने वाले दलों में जनता दल (यूनाइटेड) का नाम शामिल है। पार्टी को समुदाय से विधानसभा चुनाव 2000 में 24 फीसदी, 205 में 37 फीसदी, 2010 में 25 फीसदी, 2014 लोकसभा में 5 फीसदी वोट मिले थे।

राजपूत वोट में भी आगे भाजपा और जेडीयू
भाजपा को 2000 विधानसभा चुनाव में 38 फीसदी, 2005 में 23 फीसदी, 2010 में 31 फीसदी और 2014 लोकसभा चुनाव में 63 फीसदी राजपूत वोट मिले थे। जेडीयू को विधानसभा चुनाव 2010 में 8 फीसदी राजपूत वोट मिले। 2005 में आंकड़ा तेजी से बढ़कर 45 फीसदी पर पहुंच गया और 2010 में 26 फीसदी पर आया। लोकसभा चुनाव 2014 में जेडीयू को 8 फीसदी राजपूत वोट मिले थे। खास बात है कि साल 2000 में जेडीयू के मतों में समता पार्टी भी शामिल है।

राजद को विधानसभा चुनाव 2000 में (ब्राह्मण 3 फीसदी, राजपूत 17 फीसदी) वोट मिले। 2005 में ब्राह्मण वोटरों की संख्या बढ़कर 4 फीसदी पहुंची और राजपूत मतदाता घटकर 6 फीसदी हो गए। 2010 में 7 फीसदी ब्राह्मण वोटरों ने राजद को चुना। जबकि, राजपूत वोटर 10 फीसदी रहे। 2014 लोकसभा  चुनाव फिर ब्राह्मण मामले में राजद का वोटर शेयर 10 फीसदी पहुंचा, लेकिन राजपूत वोट तेजी से घटकर 3 फीसदी पर आ गए।

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