One School, One ID: बच्चों का अब आधार जैसा ID कार्ड, मोदी सरकार की योजना; क्या बताए फायदे…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के द्वारा देश में एकरूपता लाने के सारे प्रयास किए जा रहे हैं।

अब स्कूली छात्रों के लिए जल्द ‘एक देश, एक आईडी’ लाने के लिए तैयारी चल रही है। आधार की तरह छात्र-छात्रों का एक यूनिक कोड होगा।

इसके लिए उनके माता-पिता की सहमति का इंतजार है। आपको बता दें कि यह नई शिक्षा नीति का ही हिस्सा है, जिसे 2020 में अपनाया गया है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक के प्रत्येक छात्र के लिए ‘वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी’ बनाने की योजना बनाई है।  इसे ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (एपीएएआर) कहा जाता है।

शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूली छात्रों के लिए एपीएआर आईडी बनाने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।

एआईसीटीई के अध्यक्ष टी जी सीतारमण ने कहा, ”एपीएएआर और नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) पूरे भारत में छात्र-छात्राओं के लिए नया क्यूआर कोड होगा। उनके द्वारा सीखे गए प्रत्येक कौशल को यहां श्रेय दिया जाएगा।”

राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक संस्थानों को एपीएआर आईडी बनाने के महत्व पर चर्चा करने के लिए 16 से 18 अक्टूबर के बीच अभिभावकों और शिक्षकों की एक बैठक आयोजित करने को कहा है। आधार आईडी पर लिया गया डेटा एपीएआर आईडी का आधार होगा। स्कूल प्रमुखों ने कहा कि वे पहले से ही पोर्टल पर छात्रों के आधार विवरण को अपडेट करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

एक स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा, “हम अभी भी छात्रों के आधार कार्ड में उनके नाम की गलतियों को सुधार रहे हैं। राज्य भर में 19 लाख से अधिक छात्रों के पास आधार कार्ड नहीं हैं।

अन्य 40 लाख छात्रों के आधार कार्ड में नाम, लिंग और जन्म तिथि में त्रुटियां हैं। मुंबई में 2 लाख से अधिक छात्रों के पास आधार कार्ड नहीं हैं और अन्य 2 लाख छात्रों के कार्ड में गलतियां हैं।”

इसके लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होगी। सरकार ने आश्वासन दिया है कि डेटा गोपनीय रहेगा और जहां आवश्यक होगा वहां केवल सरकारी एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा। सहमति देने वाले अभिभावक इसे किसी भी समय वापस ले सकते हैं।

माता-पिता की सहमति के बाद इसे केंद्रीय एकीकृत जिला और सूचना प्रणाली फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) पोर्टल पर अपलोड करना स्कूल की जिम्मेदारी बन जाती है। कई स्कूलों ने अभी भी 2022-23 का छात्रों का डेटा पोर्टल पर अपलोड नहीं किया है।

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