विदेशों में रहने वाले यहूदी भी जंग में उतरेंगे, हथियार उठाने पहुंच रहे इजरायल; 50 साल बाद ऐसा युद्ध…

इजरायल पहले ही साफ कर चुका है कि जंग हमास ने शुरू की है, लेकिन खत्म वे करेंगे। यही जोश इजरायल के बाहर दुनियाभर में फैले यहूदियों में भी नजर आ रहा है।

खबरें हैं कि अन्य देशों में मौजूद इजरायली अब अपने घर का रुख कर रहे हैं, ताकि देशवासियों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर लड़ सकें।

खास बात है कि IDF यानी इजरायली डिफेंस फोर्स ने भी वॉलिंटियर्स और रिजर्विस्ट्स को युद्ध में मदद करने के लिए कहा है।

बीते रविवार से लगभग हर रोज 50 साल की उम्र तक के इजरायली वतन वापसी कर रहे हैं। IDF ने 3.5 लाख से ज्यादा लोगों को बुलाया है।

खास बात है कि अधिकांश रिजर्विस्ट्स (ऐसे सैनिक जो अपने काम करते रहते हैं, लेकिन साथ ही सैन्य प्रशिक्षण लेते हैं और सेना में पार्ट टाइम सेवाएं देते हैं।) अह्वान के समय इजरायल में ही थे।

कहा जा राह है कि साल 1973 में हुए किप्पूर युद्ध के बाद से यह महाजुटान नहीं देखा गया है।

इजरायल में जरूरी है सैन्य सेवा
इजरायल की अधिकांश जनता को 18 साल की आयु होने पर सेना में सेवाएं देना अनिवार्य है। यहां पुरुषों को कम से कम 32 महीने और महिलाओं को 24 महीने सेना में सेवा देनी होती है।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लियोर हयात ने कहा, ‘बीते शनिवार से ही दुनिया के कई इजरायली घर वापसी के तरीके खोज रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि हजारों पहले ही आ चुके हैं और अन्य भी हैं, जो यहां आकर हमें मुश्किल समय में समर्थन देने का इंतजार कर रहे हैं।’ अधिकारियों का अनुमान है कि करीब 10 हजार लोग युद्ध में शामिल होने के लिए आ गए हैं।

लोगों के अनुभव
इन्हीं में रिकी शेय जैसी महिलाएं भी हैं। शेय भारतीय मूल की यहूदी हैं, जो इजरायल में रहती हैं। उनके माता-पिता इजरायल चले गए थे और उनका जन्म इजरायल में ही हुआ।

अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मेरे दो बेटे और दो बेटिया हैं…। बेटों को कॉम्बैट यूनिट्स में के लिए वापस बुला लिया गया है। वे सिर्फ 24 और 25 साल के हैं।’

जापान में छुट्टियां मना रहे ओरी नाचमानी और पत्नी ने खबर लगते ही इजरायल का रुख  करने का फैसला किया। अखबार से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘जब मैंने तस्वीरें देखी और हमलों की खबरों के बारे में सुना, तो मैं सो नहीं पाया। मैं भले ही हजारों किमी दूर था, लेकिन मैं हमास के खिलाफ जंग में अपने भाइयों के साथ जाना चाहता हूं।’ यूनिट की तरफ से कॉल पहुंचते ही वे इजरायल आ गए।

नोआ साइकोलॉजिस्ट हैं और वह अपने देश की रक्षा के लिए तेल अवीव लौट आई हैं। अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘इस देश को जरूरत है कि मुश्किल समय में हम सभी साथ आएं।’ खास बात है कि देश के लिए लड़ने के लिए वापसी कर रहे इजरायली नागरिकों के स्वागत के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है।

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