जेल में बिरयानी खाता था अजमल कसाब? फांसी दिलाने वाली अधिकारी ने बताई पूरी बात…

26/11 हमले में शामिल आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को जेल में बिरयानी नहीं परोसी गई थी।

पूर्व पुणे पुलिस आयुक्त मीरा बोरवणकर ने किताब ‘Madam Commissioner’ में यह खुलासा किया है।

हालांकि, साल 2015 में सरकारी वकील उज्जवल निकम भी साफ कर चुके हैं कि जेल में कसाब की बिरयानी की मांग की बात झूठ थी।

किताब में बोरवणकर ने कसाब मामले से जुड़े कई खुलासे और भी किए हैं। उन्होंने बताया कि कसाब की फांसी को लेकर पूरी प्रक्रिया को काफी गुप्त रखा गया था।

उन्होंने बताया कि कसाब हर रोज जेल में रहने के दौरान कसरत करता था। फांसी लगाए जाने से पहले आतंकवादी यरवाड़ा जेल में बंद था।

पूर्व आयुक्त ने बताया, ‘तब गृहमंत्री रहे आरआर पाटिल ने किसी भी मामले में दोषी को फांसी की प्रक्रिया समझने के लिए मुझे एक बार सर्किट हाउस बुलाया था।

पाटिल ने मुझे कहा था कि देश में कुछ लोग कसाब को फांसी में दखल दे सकते हैं और ऐसे में उन्होंने मुझे कसाब से जुड़ी हर बात को गोपनीय रखने की चेतावनी भी दी थी। मैंने पुणे में अपने टीममेट के साथ कसाब की फांसी की योजना तैयार की थी।’

निकम ने क्या कहा था
साल 2015 में निकम ने बताया था कि बिरयानी की कहानी झूठ थी। साथ ही इसका इस्तेमाल आतंकवादी के पक्ष में जा रही भावनात्मक लहर को रोकने के लिए किया गया था।

टाइम्स ऑफ इंडिया में 8 साल पहले प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, निकम ने पत्रकारों से कहा था, ‘कसाब ने कभी भी बिरयानी नहीं मांगी और सरकार ने उसे कभी बिरयानी नहीं परोसी।’

उन्होंने कहा था, ‘मामले की सुनवाई के दौरान कसाब के पक्ष में बने रहे भावनात्मक माहौल को खत्म करने के लिए साजिश रची गई थी।’

निकम ने कहा था, ‘मीडिया कसाब की बॉडी लैंग्वेज को पल-पल देख रही थी और वह भी इस बात को जानता था। एक दिन कोर्ट में उसने हाथ जोड़े और आंसू पोछे। कुछ समय बाद ही मीडिया में खबर आ गई कि कसाब की आंखों में आंसू हैं। उस दिन रक्षाबंधन था और मीडिया में पैनल डिस्कशन शुरू हो गया। कुछ ने कहा कि कसाब को अपनी बहन की याद आ गई और कुछ ने तो यहां तक सवाल उठा दिए कि वह आतंकी है भी या नहीं?’

उन्होंने बताया था, ‘इस तरह की भावनात्मक लहर और माहौल को तोड़ना जरूरी था। इसके बाद मैंने बयान दिया कि कसाब ने जेल में मटन बिरयानी की मांग की है।’ वकील ने बताया कि मीडिया को यह बताते ही फिर चर्चा शुरू हो गई और मीडिया ने बताना शुरू कर दिया कि कसाब बिरयानी की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘सच्चाई यह है कि कसाब ने न कभी बिरयानी मांगी और न ही कभी उसे परोसी गई थी।’

नवंबर 2008 के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी को करीब चार सालों के बाद 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई थी।

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