मद्रास को चन्नई किया, केरल को केरलम करना चाहते, तो फिर इंडिया को भारत करने में क्या दिक्कत?…

‘इंडिया बनाम भारत’ के बहस के बीच राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सीआई इस्साक ने बड़ा बयान दिया है।

उन्होंने कहा, ‘भारत नाम बच्चों में गर्व की भावना पैदा करता है। यही कारण है कि हमने सभी स्कूली सिलेबस में इंडिया की जगह भारत लिखने की सिफारिश की है।”

आपको बता दें कि एनसीईआरटी पैनल ने सभी स्कूली पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ को ‘भारत’ से बदलने का प्रस्ताव दिया है। विपक्षी दलों ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में केवल भारत रखने की सिफारिश पर आपत्ति जताई है।

इस्साक ने कहा, ”जिन लोगों को सुझाव का विरोध है, उन्होंने मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई और तिरुवनंतपुरम का नाम बदलकर तिरुवनंतपुरम कर दिया था। वे केरल को केरलम में बदलना चाहते हैं, लेकिन जब हम भारत कहते हैं, तो उन्हें समस्या क्यों होती है?”

इस्साक ने कहा, ”भारत नाम कम से कम 7,000 साल पुराना है। जब बच्चे ये सुनेंगे तो हमारे समृद्ध इतिहास और विरासत पर उन्हें गर्व महसूस होगा। इंडिया नाम लगभग 150 वर्ष ही पुराना है।”

इस्साक ने कहा कि उनका सुझाव था कि कक्षा 7-12 तक सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में भारत नाम पढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति बनने के बाद समिति ने सोचा कि छात्रों को भारत नाम पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ”हम चाहते थे कि अगली पीढ़ी भारत नाम सीखे। जैसा हमें इंडिया सिखाया गया है। हम तो वही कह रहे हैं।” इस्साक ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि इंडिया का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

इस्साक की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति द्वारा 2021 में सिफारिशें दी गईं। केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कहा था कि राज्य ने सामाजिक विज्ञान के लिए एनसीईआरटी समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को खारिज कर दिया है।

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