तुर्की, बोलिविया, जॉर्डन… इजरायल से रिश्ते तोड़ने वालों की बढ़ती जा रही लिस्ट; यहूदी देश पर दबाव…

 इजरायल-हमास युद्ध का आज 27वां दिन है। इजरायली सेना लगातार गाजा पट्टी में टैंक दौड़ा रही है और मौत के आंकड़े बढ़ा रही है।

इजरायली सेना ने गाजा के जबालिया शरणार्थी शिविर पर भी हमला बोला है, जिसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।

इस बीच, इजरायल के हमलों से नाराज होकर एक और देश ने तेल अवीव से अपने राजनयिक को वापस बुला लिया है। बड़ी बात यह है कि यह देश अमेरिका का सहयोगी देश है, जबकि अमेरिका इस जंग में इजरायल का साथ दे रहा है।

अमेरिका के प्रमुख सहयोगी देश जॉर्डन ने बुधवार को कहा कि उसने इजरायल से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है और गाजा में “मानवीय आपदा” के विरोध में इजरायल के राजदूत को देश से बाहर रहने के लिए कहा है।

जॉर्डन के उप प्रधान मंत्री ने कहा कि राजदूतों की वापसी इजरायल के “गाजा पर अपने युद्ध को रोकने और इससे होने वाली मानवीय तबाही” से जुड़ी है। जॉर्डन ने 1994 में इजरायल के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया था। 

1979 में मिस्र के बाद, 1994 में इज़रायल के साथ शांति स्थापित करने वाला जॉर्डन दूसरा अरब देश बना था।

गाजा पर इजरायल के हमलों के देखते हुए हजारों नागरिकों ने जॉर्डन सरकार पर इजरायल से राजनयिक संबंध तोड़ने का दबाव बनाया था। जॉर्डन, जिसकी आबादी कम से कम 50 प्रतिशत फिलिस्तीनी मानी जाती है, ने गाजा में युद्ध को लेकर घबराहट दिखाई है।

बता दें कि बोलीविया ने मंगलवार को कहा था कि उसने गाजा पट्टी पर हमलों के कारण इज़रायल के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए हैं और अपने राजनयिक वापस बुला लिए हैं।

पड़ोसी कोलंबिया और चिली ने भी अपने राजदूतों को इजरायल से वापस बुला लिया है। तीनों दक्षिण अमेरिकी देशों ने गाजा पर इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की है और फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत पर चिंता जताई है।

तुर्की पहले ही इजरायल से अपने राजदूत वापस बुला चुका है।

लैटिन अमेरिकी देश बोलीविया ने इजरायल से संघर्षविराम की अपील की थी और गाजा में मानवीय सहायता भेजने की बात कही थी। इससे पहले भी बोलीविया गाजा पट्टी को लेकर इजरायल से संबंध तोड़ चुका है।

करीब एक दशक तक इजरायल से संबंध तोड़ने के बाद 2019 में दोनों के बीच फिर से  राजनयिक संबंध बहाल हुए थे।

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