छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है ,छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है शासन द्वारा जिले के किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदे गए करोड़ों के धान खुले में पड़े हैं । बेमौसम बारिश की वजह से इन धान के भीगने और खराब होने का खतरा बढ़ गया है । इसके बाद भी मिलर धान का उठाव नहीं कर रहे हैं । यही कारण है कि जिले के 102 धान खरीदी केंद्रों में 1.55 लाख टन से ज्यादा धान खुले में रखा है जिसका सरकारी मूल्य करीब 340 करोड रुपए से अधिक है । हालांकि प्रशासन लगातार मिलर्स को धान का उठाव करने के लिए डीओ जारी कर रहा है ।अब तक 4.79 टन धान का उठाव करने के लिए डीओ जारी किया जा चुका है।लेकिन इसमें से 4.07 टन धान का ही उठाव हो पाया है। उठाव नहीं होने की वजह से जिले के 62 खरीदी केंद्र बफर लिमिट पर हो गया है ।अब यहां और धान खरीदने की जगह भी नहीं है।
केंद्रों के सर्वेक्षण में पाया की बहुत सारे केंद्रों में पर्याप्त हमाल न होने और पर्याप्त स्थान न होने के वजह से भी काफी दिक्कतें आ रही है। एक केंद्र में यह भी देखा गया कि उठाव नहीं होने की वजह से स्थान की समस्या आ रही है और सड़कों पर कृषकों से धान खरीदी करनी पड़ रही है। कुछ एक केदो में यह भी पाया गया की सहायक एवं प्रभारी की अनुभवहीनता भी समस्या का कारण बन रही है। कई केंद्रों में एक प्रबंधक को एक से अधिक केंद्रों का भार देने के कारण भी समस्या उत्पन्न हो रही है।वहीं कुछ अन्य केंद्रों में कुशल प्रबंधन के कारण पर्याप्त रूप से रखरखाव की व्यवस्था की गई है एवं उठाव भी ठीक प्रकार से हो रहा है। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बहुत सारे केंद्रों में वर्षों से कार्य करने वाले सहायक एवं कंप्यूटर ऑपरेटर आज भी निविदा पर ही कार्य कर रहे हैं। शासन ने इनकी नियमितता के लिए अब तक कोई भी प्रयास नहीं किए हैं। जिससे उनके मन में अपने कार्य को लेकर असुरक्षा का भाव बना रहता है।
वही कई समिति केंद्र में एक ही प्रबंधकों को 4 से 7 समितियां का प्रभार सोपा गया जिसकी वजह से समिति में किसानों को धान बेचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ किसानों का कहना है कि जब हम प्रबंधक का साइन लेने आते हैं तो वह नज़राद रहते हैं अपनी दूसरी समिति में पाए जाते हैं वहां तक जाना एक किसान के लिए काफी दिक्कत तो भरा रहता है। शासन को चाहिए कि हर समिति में एक प्रबंधक नियुक्त किया जाए जिससे समिति के कार्यों में दिक्कतें न हो।
4 दिन तक नहीं होगी खरीदी। अब तक हजारों किसानों ने नहीं बेचा है धान । अब तक चार दिन तक 28 जनवरी तक सरकारी अवकाश है। जिस वजह से खरीदी नहीं होगी ,लेकिन इसके बाद 29 से 31 जनवरी तक सिर्फ तीन दिन और खरीदी की जाएगी। इसके बाद धान खरीदी बंद हो जाएगी जिले में 7624 किसान ऐसे हैं जो अब तक धन नहीं बेचे हैं । इन्हें इस 3 दिन में अनुमानित 42000 टन धान बेचना होगा इसके बाद धान बेचने का मौका नहीं दिया जाएगा । जिले में 1.10लाख पंजीकृत किसान है इनमें अब तक 1 लाख 3320 किसानों ने 5.63 लाख मैट्रिक टन धान बेचा है। जिसका सरकारी मूल्य 1231.31 करोड रुपए है ।इसमें से 1209.20 करोड रुपए से अधिक दान बेचने वाले किसानों को जारी किया जा चुका है ।385 करोड रुपए। किसानों ने अपनी खेती के लिए कर्ज लिया था उसकी कटौती भी की गई है।