30 साल में पहली बार दिल्ली सरकार के बजट मे देरी, आखिर कौन है जिम्मेदार?

बीते 30 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि केंद्र सरकार की मंजूरी ना मिलने की वजह से दिल्ली के बजट के ऐलान में देरी हो गई। दिल्ली सरकार और एलजी के बीच भी इस मुद्दे को लेकर काफी खींचतान देखने को मिली।

दरअसल गृह मंत्रालय ने पहले दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी नहीं दी थी। हालांकि इस मामले को लेकर जानकार दो गुटों में बंटे हुए हैं।

कुछ लोगों का कहना है कि दिल्ली का बजट चुनी हुई सरकार पर निर्भर करता है और केंद्र से मंजूरी लेना केवल एक फॉर्मैलिटी है। वहीं दूसरे गुट का कहना है कि दिल्ली सरकार को ध्यान देना चाहिए कि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद ही बजट की तारीख का ऐलान करना चाहिए। 

लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडी थकप्पन आचार्य ने कहा कि बजट को पेश करना किसी भी चुनी हुई सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है।

इसमें एलजी और केंद्रीय गृह मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। वहीं जीएनसीटीडी ऐक्ट का भी कहना है कि सालाना वित्तीय योजना पर एलजी की कोई बड़ी भूमिका नहीं है।

इसपर केवल एलजी को साइन करने होते हैं। यह बजट ना तो केंद्र सरकार का होता है और ना ही उपराज्यपाल का। यह केवल चुनी हुई सरकार से संबंधित है। 

वहीं संसदीय और संवैधानिक मामलों के जानकार एसके शर्मा का कहना है कि गृह मंत्रालय और एलजी की मंजूरी जरूरी होती है। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली के लगभग 10 बजट साइकल के बारे में जानते हैं।

इस मामले में केंद्र सरकार पूछ सकता है कि जब राष्ट्रपति ने बजट को मंजूरी नहीं दी तो फिर पहले ही तारीखों का ऐलान कैसे कर दिया गया। हर साल ही गृह मंत्रालय बजट से संबंधी जानकारी दिल्ली सरकार से लेता है और इसका जवाब भी दिया जाता है। जब सब कुछ सही होता है तभी तारीखों का ऐलान करना चाहिए. 

दिल्ली सरकार का कहना है कि 10 मार्च को ही बजट से संबंधित दस्तावेज एलजीको भेज दिए गए थे। इसके बाद गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को इसे वापस कर दिया।

इसके बाद सवालों को जवाब दिए गए तब जाकर मंगलवारको गृह मंत्रालय ने बजट को मंजूरी दी। शर्मा ने कहा कि 2001-02 में जब दिल्ली सरकार में महिंदर सिंह वित्त मंत्री थे।

गृह मंत्रालय ने मंजूरी से पहले ही बजट की तारीख निश्चित करने के मामले में मंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। बता दें कि आज दिल्ली सरकार बजट पेश करने जा रही है। 

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