भिलाई 5 नवंबर 2024 // शासकीय इंदिरा गांधी वैशाली नगर महाविद्यालय भिलाई में जनजाति समाज का गौरवशाली अतीत विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया l यह कार्यक्रम संस्था के प्राचार्य डॉ श्रीमती अल्का मेश्राम के मार्गदर्शन में मे किया गया l कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापक कार्यक्रम समन्वयक डॉ चाँदनी मरकाम ने किया l कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती मां के तैलचित्र पर दीप प्रज्वलन व भगवान बिरसा मुंडा , रानी दुर्गावती, गुंडाधुर और भारत माता के तैलचित्र पर पुष्प अर्पण के साथ प्रारंभ किया गया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड पर आयोजित किया गया, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी यू.एस.ए. से डॉ मृणाल सिन्हा (एसोसिएट प्रोफेसर) ऑनलाइन मोड पर थे l डॉ मृणाल सिन्हा ने जनजातीय समाज पर अनेक शोध किए हैं उस शोध कार्य को हम सबके साथ साझा करते हुए , जनजाति समाज के बारे में कहा – जनजातियों की वर्तमान स्थितियों व स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका और योगदान विषय पर अपना सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किया। इसी क्रम में कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय रायपुर (छ. ग.) पत्रकारिता एवं जनसंपर्क विभाग से पधारे हुए प्रोफेसर डॉ आशुतोष मंडावी ने अपने उद्बोधन में कहा कि – जनजाति भगवान बिरसा मुंडा, रानी दुर्गावती, गुंडाधुर, शहीद वीर नारायण सिंह जैसे अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, राजाओं, महाराजाओं ने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों का विरोध करते हुए अनेक जनजातियों के प्रतिनिधियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को स्वतंत्र बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। इसी क्रम में सेवानिवृत्ति प्राध्यापक डॉ वेदवती मंडावी ने जनजातीय समाज पर जानकारी देते हुए कहा – जनजातीय समाज के संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और उनके योगदान विशेष कर मोहनजोदाडो, हड़प्पा संस्कृति व स्वाधीनता संग्राम में हुए शहीदों के योगदान, गोड़ जनजातियों की गोटुल परम्परा और टोटम व्यवस्था के माध्यम से जीव-जंतुओं व पेड़-पौधे की सुरक्षा करना l
वर्तमान में जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक समस्याओं पर भी प्रकाश डाला, फिर भी आदिम समाज प्रकृति की रक्षा करने के लिए आज भी लालायित रहते हैं इत्यादि जानकारी विस्तार से दी l महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ श्रीमती अलका मेश्राम ने अपने उद्बोधन में जनजातीय आंदोलन जैसे कुकी आंदोलन,संथाल आंदोलन का जिक्र करते हुए रानी दुर्गावती के बलिदान से सबको रूबरू कराया उन्होंने कहा कि – जनजाति सभ्यता और संस्कृति कितनी धनी है l ब्रिटिश काल में जनजातियों ने भारत देश को स्वतंत्र कराने में इनका योगदान अति महत्वपूर्ण है। साथ ही महाविद्यालय परिवार इस सफल कार्यक्रम के लिए संगोष्ठी के समन्वयक डॉ चांदनी मरकाम, सह समन्वयक प्रोफेसर अत्रिका, सदस्य महेश कुमार अलेंद्र, सुरेश ठाकुर को बधाई दिए l इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के एनएसएस, एनसीसी के विद्यार्थियों के द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी l बड़ी संख्या में महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे l कार्यक्रम के अंत में संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर महेश कुमार अलेन्द्र ने समस्त अतिथियों व महाविद्यालय के प्राचार्य, प्राध्यापक डॉ कैलाश शर्मा, डॉ नीता डेनियल, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ किरण रामटेक, डॉ संजय कुमार दास, प्रो सुशीला शर्मा, प्रो कौशल्या शास्त्री, डॉ अल्पा श्रीवास्तव, डॉ आरती दीवान, डॉ रविंदर छाबड़ा, डॉ मीनाक्षी भारद्वाज, डॉ दिनेश सोनी, डॉ अजय कुमार मनहर, प्रो अमृतेश शुक्ला, क्रीड़ा अधिकारी यशवंत देशमुख, समस्त अतिथि प्राध्यापकों व छात्र-छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापन किया।